मगध के आमा नामधारी गाँव और बौद्ध धर्म - सम्पूर्ण बिहार के परिप्रेक्ष्य में .
(- कौशल किशोर एवं अभिषेक कुमार )
बौद्ध युगीन प्राचीन मगध में पाटलीपुत्र से नालंदा होते हुए राजगृह ,तेल्हाडा और बोधगया ( तत्कालीन मगध के महत्वपूर्ण सत्ता और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान )निसंदेह सामरिक महत्व के राजमार्ग से जुड़े रहे होंगें .सम्राट बिम्बिसार और गौतम बुद्ध के जीवन वृत्तांत से लेकर चीनी यात्री फाहयान और ह्वेन सांग के यात्रा वृतांतों में इन महत्व पूर्ण केन्द्रों के आपस में राजमार्गों से जुड़े होने का स्पष्ट उल्लेख है.और अगर राज मार्ग था तो फिर राजमार्ग के किनारे सराय , बौद्ध विहार , चैत्य और गाँव व नगर भी जरूर रहे होंगें .
इतिहास के उस काल खंड से निकल कर अगर वर्तमान में लौटें तो चुनौती इस बात की है कि क्या आज हम महत्वपूर्ण सामरिक और व्यापारिक राजमार्ग को दर्शा सकते हैं ?
मगध का यह क्षेत्र ,पिछले ढाई हज़ार सालों में तमाम तरह के सामजिक , राजनैतिक , सांस्कृतिक परिवर्तनों से लेकर भौगोलिक परिवर्तन का गवाह रहा है. इस दौर में सबसे मह्त्व पूर्ण भौगोलिक / भूगर्भीय घटना रही है सोन भद्र नदी के प्रवाह में परिवर्तन . विशेषज्ञ कहते हैं कि पुनपुन नदी जो, वर्तमान में फतुहा में गंगा में मिलती है वह नौबत पुर ( पटना के दक्षिण - पश्चिम में )के आगे फतुहा में गंगा में मिलाने तक सोन नदी के पुराने रास्ते से बह रही है.सोन नदी जो आज कोइलवर में गंगा में मिलती है उसका प्राचीन प्रवाह और पूर्व दिशा से होता था और वर्तमान पटना शहर के बीच से होते हुए गंगा में मिलती थी. मगध की प्रमुख नदी फल्गु दक्षिण से उत्तर की और आने में कई शाखायों में बंट जाती है और इन शाखाओं का रास्ता भी इस काल खंड में बदलता रहा है.एक मायने में इन बुनियादी फेर बदल में अगर कुछ स्थिर रहा है तो यह कि प्राचीन मगध से ले कर वर्तमान युग तक भूगोल का यह हिस्सा ( मगध) तक़रीबन आबाद रहा है और यहां का इतिहास भारत वर्ष के इतिहास का अभिन्न हिस्सा रहा है.
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मगध साम्राज्य के दो सत्ता केन्द्रों ( पाटलिपुत्र और राजगृह)को जोड़ने वाले सामरिक / व्यापारिक राजमार्ग को चिन्हित करना एक multi disciplinary चुनौती है .
अगर मगध के आमा नाम धारी गाँव प्राचीन बौद्ध बसाहट से सम्बंधित हैं , तो इस दिशा में विस्तृत विश्लेषण और पुरातात्विक अनुसंधान की जरूरत है.
फिलहाल अगर हम सिर्फ बिहार के सभी राजस्व गाँव के नामों का इस नजरिये से विश्लेषण करते हैं तो तस्वीर कुछ साफ़ होने लगती है.
बिहार प्रांत में कूल 45600 राजस्व गाँव हैं.एक राजस्व गाँव के दायरे में उसके कुछ टोले भी हो सकते है. सरकारी राजस्व रिकॉर्ड के तहत बिहार में कुल गाँव की संख्या 64000 के लगभग है . इन गाँव में कुछ बे- चिरागी ( निर्जन )गाँव भी हैं.
अगर बिहार के समस्त 45600 राजस्व गाँव के नामों का विश्लेषण किया जाय तो इस सन्दर्भ में कुछ मह्त्व पूर्ण निष्कर्ष निकलते हैं.
पुरे राज्य में आमा नामधारी ( आमा प्रत्यय बाले गाँव - मसलन , दनिआमा , कछिआमा , घोसरामा , तेतरामा ) की कुल संख्या 831 है.
इसमें से 391 गाँव सिर्फ मगध क्षेत्र में हैं .चंपारण और वैशाली ( मुजफ्फरपुर सहित ) में ऐसी गाँव की संख्या 73 है. इस प्रकार 831 में से 464 गाँव मगध ,वैशाली और चंपारण में हैं.यह कहने की आवश्यकता नहीं है की इन दोनों क्षेत्रों का बौद्ध धर्म और संस्कृति से अभिन्न सम्बन्ध था .मगध और वैशाली ,चंपारण के आमा नामधारी गाँव की विस्तृत जिलावार सूची निम्नलिखित है.
Magadh
District Name No. of Villages with In %
aama suffix ( of total 831 villages )
1. Sheikhpura 7 0.84
2. Nawada 38 4.57
3. Nalanda 73 8.78
4. Patna 64 7.7
5. Gaya 109 13.11
6. Jehanabad 38 4.81
7. Aurangabad 62 7.46
Total 391 47.27
Champaran & Vaishali
1. Pashchim Champa 11 1.3
2. Purbi Champaran 14 1.68
3. Muzaffarpur 28 3.24
4. Vaishali 20 2.4
Total 73 8.62
जैसा की पहले लिखा गया था , इस सुराग को शोध में तब्दील करने का प्रयास जारी रहेगा. इसमें आपकी सहभागिता की अपेक्षा है.
- कौशल किशोर एवं अभिषेक कुमार
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ReplyDeleteपुरे राज्य में आमा नामधारी ( आमा उपसर्ग बाले गाँव - मसलन , दनिआमा , कछिआमा , घोसरामा , तेतरामा ) की कुल संख्या 831 है.
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यहाँ आमा उपसर्ग नहीं, बल्कि प्रत्यय है । शायद आपने पहले सन्देश पर की टिप्पणी नहीं देखी ।
जी हाँ , इसे प्रत्यय हीं कहते हैं . और अब भूल सुधार कर दिया गया है. धन्यवाद .
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