Tuesday, 16 June 2009

मगही में फारसी और उर्दू की चासनी - भाग 1


मगध बिहार में इस्लाम का शुरूआती ठौर रहा है.यहाँ आकर इस्लाम का रंग बदला और इसने मगध को भी कई मायनों में बदला.मध्ययुगीन पाली/प्राकृत/ मगही का पाला पड़ा अरबी,तुर्की और फारसी भाषा से . बोलियों, भाषायों और धर्मों के इस घालमेल में उर्दू और खड़ी बोली हिंदी की पैदाईश हुयी.वर्तमान मगही में फारसी और उर्दू के शब्दों की भरमार है .ज्यादातर फारसी शब्दों का मगही करण हो गया है पर बहुतेरे शब्द आज भी पुराने स्वरुप में मगही में जीवित हैं.भाषाई और शब्द विकास का अपना तकाजा होता है और तदनुसार वर्तमान में तक़रीबन हर आम मगही भाषी इन शब्दों का धड़ल्ले से रोजाना इस्तेमाल करता है. ऐसे हीं चंद शब्दों की बानगी प्रस्तुत है.शब्दों की यह फेहरिस्त सिलसिलेवार ढंग से देने की कोशिस की जायेगी .
उर्दू/फारसी शब्द - अर्थ मगही शब्द - अर्थ
आराम-देह - आराम दायक आराम देह - आरामदायक
आराम-तलब - आलसी आराम तलब - आलसी
आजुर्दा - नाखुश अजुरदा - नाखुश / खिन्न
आफत - विपत्ति आफत -- विपत्ति
आमद - आमदनी आमद - आमदनी
आनन-फ आनन - तत्क्षण आननफानन - तुंरत
आयंदा - आने वाला / अगला आइंदे - आगे से
इजारा - ठेका /अधिकार इजारा - ठेका
इजलास - कचहरी /अधिवेशन इजलास - कचहरी
एहतियात - सावधानी एहतियात - सावधानी
इख्तियार - सामर्थ्य /सत्ता/अधिकार अख्तियार - सामर्थ्य
अदना - तुच्छ / नीच अदना - तुच्छ/ छोटा
अराजी - भूमि/जमीन एराज़ी - जमीन/क्षेत्रफ़ल
अर्ज़ - भूमि /स्थान अरज - चौडाई /जमीन
असबाब- सामान असबाब - सामान
असामी - किसान /प्रजा असामी - रैयत / मातहत किसान

4 comments:

  1. मेरे विचार में यदि तीन अक्षर वाले असमस्त (अर्थात् बिना समास वाले) हिन्दी (तत्सम या अरबी-फारसी) शब्दों के पहले दो अक्षर के स्वर दीर्घ हों तो मगही में पहला स्वर ह्रस्व हो जाता है । जैसे -
    आधार --- अधार
    आराम --- अराम
    चालाक --- चलाक
    सामान --- समान
    (नोटः हिन्दी के 'समान' शब्द के लिए मगही में 'नियर', 'नियन' आदि शब्द का प्रयोग होता है ।)
    कानून --- कनून

    लेकिन - "आनाकानी" का "अनाकानी" नहीं होता, क्योंकि यह असमस्त शब्द नहीं है ।

    "आदमी" का मगही में "अदमी" हो जाता है; "आमदनी" का "अमदनी" (उच्चारित "अम्दनी") । कुछ और विस्तृत शब्दों के तुलनात्मक अध्ययन से ह्रस्वीकरण सम्बन्धी और नियम बनाये जा सकते हैं ।

    डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन ने Seven Grammars of the Bihari Languages, Vol.I, General Introduction, Chapter-II (Spelling and Pronunciation), Section 36.- Shortening of antepenultimate vowel, pp.22-24 में दीर्घ स्वर के ह्रस्वीकरण के बारे में बहुत कुछ लिखा है किन्तु उपर्युक्त नियम के बारे में कहीं सीधे और स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया है । उन्होंने केवल मूल शब्दों की केवल रूपावली बनाते समय ह्रस्वीकरण की चर्चा की है ।

    "आइन्दे" का बिहारशरीफ क्षेत्र में केवल "इन्दे" सुनाई पड़ता है ।

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