मगह का एक महादलित टोला - मदारी चक मुसहरी ( दनियावां , पटना )
मगह में मुसहरों की बस्ती को मुसहरी कहते हैं. और ये बस्तियां जिस राजस्व ग्राम के दायरे में अवस्थित होती हैं उस गाँव के नाम को मुशहरी शब्द को प्रत्यय बना इन बस्तियों की पहचान पूरी कर ली जाती है.यथा -जीवन चक मुसहरी, एरई मुसहरी.
तो सामने वाले चित्र में जो बस्ती दिख रही है वह है मदारी चक .सरथुआ के पूर्व में .मगह की मध्य कालीनसूफी परम्परा में मदारी और कलंदर सूफियों का अलग सिलसिला रहा है. पर मदारी चक का सूफी मत और उन सिलसिलों से क्या सम्बन्ध रहा है यह अब भूत काल की बात हो गयी है.
सन १९४७ के पहले इस टोले पर दो तीन मुस्लिम किसानी परिवार भी था. पर १९५० में उनके पलायन के बाद अब इस टोले पर खालिस मुसहर आबादी है. खेत -मजदूरी और सूअर पालन इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत रहा है.आर्थिक और सामजिक तौर पर सबसे निचले पायदान पर .
घर आते जाते नदी पार करते हीं मदारी चक पर निगाह पड़ती रही है.इस बार मदारी चक अलग सा दिखा. इधर इनकी स्थिति में सुधार हुआ है.इनके बच्चे स्कूल जाने लगे हैं.इनके फूस के घर ईंट और खपरैल में बदल रहें हैं.सरकारी आवास योजना के तहत कई पक्के मकान भी दिखते हैं.ताड़ के पेडों के बीच में से झांकते खपरैल और ईंट के घर .
तो फिर मांगुर मछली और ताडी की बहार यहाँ भी है.
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