शहर की मुख्य सड़क , चौडी और साफ़ सुथरी
अलग - अलग शैली और स्थापत्य में बने मकान ,
दूसरे पहर की सुहानी धुप में नहाया खूबसूरत मंदिर
राहगीर और उनकी वेशभूषा
सब के सर पर मुरेठा ,
खुशहाल दिखते लोग .
पहली नज़र में तबीयत प्रसन्न करने वाली तस्वीर
आप और कुछ ढूंढ पाए इस तस्वीर में ?
कितना बदला है गया बाद के सौ सालों में ?
क्या - क्या बदला आते जाते लोगों में ?
लिखें तो विमर्श आगे बढेगा .
Saturday, 7 March 2009
1895 में गया शहर - एक नज़ारा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तस्वीर बड़ी सुहानी है. लगता है कोई ख़ास दिन रहा होगा. भीड़ भाड कुछ ज्यादा ही है. आभार.
ReplyDeleteतनी ई तो बताथिन कि ई तस्वीर अपने के मिललइ काहाँ । कोय सन्दर्भ ग्रन्थ ?
ReplyDeleteसिर्फ़ गया क्या मेरे ख़याल से हर शहर बदल गया है ।
ReplyDeleteहाँ फोटो जरुर नायाब है ।
sachmuch gaya badal gaya hai. yahaan k log badle, vichar badla, sanskiritiyaan bhi badlav k raste par hai. logo ko ek achhi jankaari dene k liye dhanyabaad.
ReplyDeleteSUNIL SAURABH/MUKESH. GAYA.