Friday 20 February 2009

दाऊद नगर में लोक उत्सव जितिया - मगही लोकजीवन का एक रूप

( जितिया मगध क्षेत्र का एक विशिष्ठ लोक उत्सव है .मित्र सुजीत चौधरी , अपने बचपन के दाऊदनगर का किस्सा सुना रहें हैं । दाऊदनगर और मगध के राग रंग पर इन्होने लिखते रहने का वायदा किया है। प्रस्तुत है उनका लेख )
जितिया : एक अनोखा त्यौहार
दाऊदनगर में काफी धूम धाम से मनाया जाता है जिसमे सभी लोग धर्म, संप्रदाय, जाति और आर्थिक वर्ग से ऊपर उठकर सम्मिलित होते हैं। जितिया वास्तव में जिमुतवाहन का पर्व है जो उत्तर और पूर्व भारत में मनाया जाता है। इस पर्व पर माताएं पुत्र जीवन के लिए पूजा करती हैं और पुत्रहीन माताएं भी पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं। यह त्यौहार दशहरा से पहले मनाया जाता है। यह पूजा अनंतचतुर्दशी से शुरू होती है और दस दिनों तक चलती है। पहले दिन, दाऊदनगर में चार या पॉँच जगहों पर ओखली (धान कूटने के लिए बनी लकड़ी की चीज) रखी जाती है और उसके पूजन से जितिया की शुरुआत होती है। सातवे दिन माताएं एक खास तरह के साग या दूब को पानी से निगलकर अपना उपवास तोड़ती हैं। ऐसा भी सुना है कि जिन माताओं के पुत्र बालावस्था में ही मर जाते हैं वे जीवित छोटी मछली निगल कर उपवास तोड़ती हैं। दाऊदनगर के जितिया का अनोखा पक्ष है की यहाँ के बच्चे और युवा ' नक्कल' बनते हैं। नक्कल मतलब भेष बदलना और पूरे शहर में नक्कल बनकर घूमना। नक्कल बनना उनके लिए अनिवार्य होता है जिनका जन्म जिमुतवाहन के आशीर्वाद से हुआ हो। मगर जितिया में (मैं अपने बचपन यानि कम से कम तीस साल पहले कि बात बोल रहा हूँ) शहर के काफी लोग नक्कल बनते थे और जहाँ देखिये नक्कल ही नक्कल। आपने गोवा के कार्निवल के बारे में सुना होगा , कुछ वैसा ही। नक्कल कि उत्पति में कोई जनजातीय परम्परा नहीं है क्योंकि दाऊदनगर में कोई जन जाति नही है। जितिया के समय सामाजिक बंधन ढीले हो जाते हैं और सामाजिक सांस्कृतिक वर्जनाएं नहीं रहती। कोई किसीसे से भी मजाक कर सकता है या किसीका भी मजाक / मखौल उदा सकता है। सब मान्य है। नक्कल के विषय पारंपरिक और सामयिक मुद्दों से लिए जाते हैं यहाँ तक कि स्थानीय मुद्दे भी। पुरूष स्त्री रूप धारण करते हैं। जैसे मछली बेचने वाली या बाई स्कोप दिखने वाली। कोई नट बनता है तो उसका साथी नट्टिन। कोईसुल्ताना डाकू बनता तो कोई लैला की खोज में भटकता मजनू । कोई जोगी बनता तो कोई भिखारी। सड़कों और बाजारों में घुमते ये नक्कल दाऊदनगर के कुछ संभ्रांत लोगों के बैठक पर भी जाते जहाँ उन्हें बख्शीश मिलती। इन नक्कालों में दिल्ला काफी मशहूर था । वह एक गोरा चिट्टा नवजवान था और पेशे से मछलीमार था। वह स्त्री रूप धारण करता और लोग समझते कि वाकई वह एक औरत है। सुल्ताना डाकू एक बहुचर्चित पत्रथा। एक नक्कल सुल्ताना डाकू बनता और एक एक उसका साथी प्रधान सिंह। मुझे याद है , मेरे नाना डॉक्टर थे और सभी नक्कल हमारे बैठक में जरूर आते थे। हाँ एक चीज , सभी नक्कल खासकर बड़ी उम्र के शौकिया और अनुभवी नक्कल शराब जरूर पीते थे। नाना देशी शराब में कुछ मिलवाते थे जिससे उसका रंग पारदर्शी से बदलकर लाल हो जाता था। यह शराब नक्कालों के लिए हमारे बैठक में आने का एक खास आकर्षण था जो घर केनौकर बैठक से लगे छोटे कमरे में नक्कालों को पिलाते थे। मजनू जंजीरों में बंधा और फटे कपड़े पहने आता और जमीन पर अपना सर पटकता और गता ," लैला लैला पुकारूँ मैं वन में, मेरी लैला बसी है मेरे मन में।"इसी तरह सुल्ताना डाकू आता और उसके आने का संकेत था कई बम विस्फोट ! फिर वह आता और अपने प्रधान से पूछता ," प्रधान जी, यह डॉक्टर कैसा आदमी है?" प्रधान कहता, " यह डॉक्टर गरीबों का खून चूसता है और इसीसे काफी दौलत कमी है।" सुल्ताना अपनी बन्दूक कि नोक मेरे नाना जी कि तरफ़ उठता और कहता " डॉक्टर, अपने खजाने कि चाभी दे दे नहीं तो तेरी लाश बिच्छा दूँगा।" मैं बिल्कुल डरा नाना के पीछे खड़ा रहताऔर सोचता कि सचमुच यह नाना को मार देगा क्या? इसके बाद सुल्ताना और प्रधान मेरे नाना के पैर छु प्रणाम करते और पास वाले कमरे में रंगीन शराब पीने चले जाते।ऐसा होता था दाऊदनगर का जितिया। अब दस दिनों का यह आयोजन तीन चार दिनों में सिमट गया है। हाँ स्त्रियाँ अन्तिम दिन ओखली कि पूजा बिना किसी समस्या से कर सकें इसके लिए मोहल्ले के नक्कल लाल परी और कला परी बनकर उनके साथ रहते है। अब तो सुना है कि टीवी वाले भी इसका प्रसारण करते हैं।
सुजीत चौधरी , ( दाऊदनगर ) बंगलोर

7 comments:

  1. jaankari ke liye dhanyawaad!
    आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .आपका लेखन सदैव गतिमान रहे ...........मेरी हार्दिक शुभकामनाएं......

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    ReplyDelete
  3. ब्लोगिंग जगत में स्वागत है
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. i was searching about my native village and saw ur blog....its amazing and even i didnt know many things about magadh while i belong to that region.
    keep posting
    thankyou

    ReplyDelete
  5. I felt too happy after reading the traditional history of daudnagar.

    ReplyDelete