Saturday 7 March 2009

1895 में गया शहर - एक नज़ारा


शहर की मुख्य सड़क , चौडी और साफ़ सुथरी 
अलग - अलग शैली और स्थापत्य में बने मकान ,
दूसरे पहर की सुहानी धुप में नहाया खूबसूरत मंदिर 
राहगीर और उनकी वेशभूषा 
सब के सर पर मुरेठा ,
 खुशहाल दिखते लोग . 
पहली नज़र में तबीयत प्रसन्न करने वाली तस्वीर 
आप और कुछ ढूंढ पाए इस तस्वीर में ?
कितना बदला है गया बाद के सौ सालों में ?
क्या - क्या बदला आते जाते लोगों में ?
लिखें तो विमर्श आगे बढेगा .


4 comments:

  1. तस्वीर बड़ी सुहानी है. लगता है कोई ख़ास दिन रहा होगा. भीड़ भाड कुछ ज्यादा ही है. आभार.

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  2. तनी ई तो बताथिन कि ई तस्वीर अपने के मिललइ काहाँ । कोय सन्दर्भ ग्रन्थ ?

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  3. सिर्फ़ गया क्या मेरे ख़याल से हर शहर बदल गया है ।
    हाँ फोटो जरुर नायाब है ।

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  4. sachmuch gaya badal gaya hai. yahaan k log badle, vichar badla, sanskiritiyaan bhi badlav k raste par hai. logo ko ek achhi jankaari dene k liye dhanyabaad.

    SUNIL SAURABH/MUKESH. GAYA.

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