Friday 10 July 2009

मगध की पाल कालीन मूर्तियाँ - मूर्तिकला के विद्वान् की नज़र से

बिहार - बंगाल की पाल कालीन मूर्ति कला पर एक शोध ग्रन्थ " The Pala- Sena Schools of Architecture " -Sushan Huttington , में मगध की पाल कालीन मूर्ति कला और इस परम्परा के विभिन्न आयामों पर विशद चर्चा है.पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करें तो इस क्षेत्र की मूर्ति कला की समृद्ध परंपरा की एक झलक मिलती है. शोध ग्रन्थ के अंतिम अध्याय ' Concluding Remarks " मगध की पाल कालीन मूर्तियों पर नए नज़रिए से शोध के महत्व को रेखांकित करता है. Shushan का कहना है की बिहार और बंगाल में पाल कालीन तक़रीबन छः हजार मूर्तियाँ इस क्षेत्र को मूर्तिकला के लिहाज़न दुनिया भर में चुनिन्दा स्थानों में शुमार कर सकती हैं. मेरा अनुमान है की सिर्फ मगध क्षेत्र के खेत , खलिहानों , तालाबों , टीलों , गाँव के मंदिरों और गोरैया स्थानों में इससे ज्यादा संख्या में मूर्तियाँ आज भी विद्यमान है.सनद रहे की मूर्तियों की यह संख्या इतिहास और काल के क्रूर हाथों से बचते - बचाते हुए , सामाजिक उपेक्षा ,तस्करी और चोरी के बावजूद बची हुयी हैं. इनमें से अधिकाँश मूर्तियाँ बिना सही पहचान के बरह्म बाबा , गोरैया बाबा और देवी मैया के रूप में इस इलाके में पूजी जा रही हैं.कहने की जरूरत नहीं की इस ऐतिहासिक विरासत को संरक्षण की जरूरत है. अगर जल्द यह कार्य नहीं हुआ तो सदा के लिए यह अनमोल विरासत काल कवलित हो जायेगी .

http://books.google.com/books?id=xLA3AAAAIAAJ&lpg=PA71&dq=satues%20of%20pala%20period&lr=&pg=PA201

पाटलिपुत्र -राजगृह प्राचीन मार्ग के पास बसे गाँव की प्राचीन मूर्तियाँ

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खरभैया , पटना जिले के दनियावां अंचल में स्थित एक गाँव है.यह फतुहा हिलसा रोड के सिंगरिआमा स्टेशन से पांच किलोमीटर पश्चिम स्थित है .ऊपर में दी गयी मूर्तियाँ खरभैया , और उसके निकट वर्ती गाँव , छित्तर बिगहा , सरथुआ और तोप में अलग अलग समय में मिली हैं.
इनमें से कुछ मूर्तियों की पहचान आसान है पर अन्य की पहचान शेष है. तक़रीबन सारी प्रतिमाएँ खंडित है. इनमें से कुछ मूर्ति पहले से ही गाँव के देवी स्थान में संजोग कर रखी हूई हैं और अन्यमूर्तियाँ हाल- साल में तालाब और टीलों की खुदाई में अचानक मिली जिसे नया मंदिर बनाकर रखा गया है. जिन मूर्तियों की पहचान आसान है - जैसे उमा महेश्वर , उसकी पहचान और पूजा शंकर पार्वती के रूप में और अन्य मूर्तियों की पूजा ,गोर्रैया बाबा , बरहम बाबा और देवी माता के रूप में हो रही है.ये सारी मूर्तियाँ काले पत्थर में बनी हूई हैं और पाल कालीन प्रतीत होती हैं. पर इन मूर्तियोंकी जांच परख इतिहास और पुरातात्विक नज़रिए से होना बाकी है.